ISBN | 978-93-84461-01-0 |
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No of Pages | 64 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरू डॉ. जयंत बाळाजी आठवले एवं कु. मधुरा भिकाजी भोसले |
रासलीला
₹65 ₹59
Also available in: Marathi
गोपियोंकी भक्तिको ‘आदर्श भक्ति’ की उपमा दी जाती है ।
मोहमायासे विरक्त गोपियोंकी व भगवान श्रीकृष्णकी रासलीला कितनी पवित्र होगी !
फिर भी कलियुगमें रासलीलाको संदेहकी दृष्टिसे देखा जाता है । इतना ही नहीं, भगवान व गोपियोंके बीच क्रीड़ा कुछ लोगोंको अधर्मयुक्त लगती है ।
इस ग्रंथमें रासलीलाके भावार्थ (गूढ़ार्थ), मधुराभक्तिका अर्थ, मर्म व फलश्रुति इत्यादि जानकारी दी गई है ।

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