eBook – कर्मका महत्त्व, विशेषताएं एवं प्रकार

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कर्म अटल है एवं प्रत्येक कर्मका पाप-पुण्यात्मक फल भी प्राप्त होता है । इसे ‘कर्मबन्धन’ कहते हैं । इस बन्धनसे कैसे मुक्ति पाएं, इसका मार्ग कर्मयोग बताता है ।
किसी भी कर्मकी आसक्ति, अभिमान तथा फलकी अपेक्षा न रखना, कर्म होनेपर उसे ईश्वरके चरणोंमें अर्पण करना इत्यादि से कर्ममें निष्कामता उत्पन्न होती है । ऐसा होनेपर कर्मफल लागू नहीं होता । निष्कामताके कारण अन्तःकरण निर्मल होकर निरन्तर आनन्दकी अनुभूति होती है । दैनिक जीवनमें कर्म करते समय ही ‘कर्मयोग’को यथार्थरूपसे आचरणमें कैसे लाएं, इसपर यह ग्रन्थमाला सुबोध मार्गदर्शन करती है ।
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