Weight | 0.105 kg |
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ISBN | 978-93-85575-60-0 |
No of Pages | 84 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेे एवं सद्गुरू डॉ. चारुदत्त प्रभाकर पिंगळे |
Group | 2728 |
साधु-सन्तों का महत्त्व एवं कार्य
₹85 ₹77
Also available in: Marathi
साधु-सन्तों की समाजमनपर अंकित की जानेवाली विकृत छवि और हिन्दुओंमें धर्माभिमानका अभाव, इन कारणोंसे आज सामान्य हिन्दू खरे साधु-सन्तों से दूर होता जा रहा है । उचित मार्गदर्शनके अभावमें उनकी स्थिति भ्रमित व्यक्तिकी भांति हो गई है ।
इस ग्रन्थमें ऐसे भ्रमित और दिशाहीन हिन्दू तथा हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंकी स्थिति विशद की गई है ।
राष्ट्र और धर्म की स्थिति विकट होनेके कारण उसमें सुधार लानेके लिए अनेक साधु-सन्त कार्यरत हैं । उनमेंसे कुछ साधु-सन्तों की जानकारी इस ग्रन्थमें दी है ।
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