Weight | 0.101 kg |
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No of Pages | 84 |
ISBN | 978-93-91069-74-2 |
Language | Hindi |
Group | 2317 |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले, श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ एवं अन्य |
उतारा एवं मानस कुदृष्टि-निवारण (वास्तु, वाहन एवं वृक्ष को कुदृष्टिसे बचानेके उपचारोंसहित)
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भूत-प्रेत जैसी अदृश्य शक्तियोंकी खोज पश्चिमी देशोंके लोगोंने कुछ समय पूर्व ही की है । आज भूतोंकी जानकारी अनेक जालस्थल (वेबसाइटस्) पर उपलब्ध है ।
हमारे हिन्दू पूर्वजोंने सहस्रों वर्ष पूर्व ही इनकी केवल जानकारी ही नहीं दी, अपितु उन शक्तियोंसे होनेवाले कष्टोंसे रक्षा हेतु सुगम उपचार-पद्धतियां भी बताई हैं । उनमेंसे एक पद्धति है – उतारा ।
अतृप्त इच्छा और वासना के कारण भूलोकमें रहनेवाले हमारे ही पूर्वज या अन्य जीव इस लोकको छोड जानेके पश्चात हमें सताते हैं, इसपर विश्वास नहीं होता न ? इस सत्यको समझने हेतु इसकी कारणमीमांसा समझनी होगी ।
उतारेके लिए कौनसी वस्तुओंका प्रयोग करना चाहिए, उतारेकी पद्धतियां कौनसी हैं, उतारेके समय सूक्ष्म-स्तरपर होनेवाली प्रक्रिया, उतारा तिराहेपर क्यों रखना चाहिए, उतारेका पानीमें विसर्जन क्यों और कब करें जैसे अनेक प्रश्नोंकी अध्यात्मशास्त्रीय कारणमीमांसा इस ग्रन्थमें दी है ।
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