Hindi Granth

सनातन की चैतन्यमय ग्रन्थसम्पदा की प्रमुख विशेषताएं !

  • आध्यात्मिक विषयों के विविध ग्रन्थों में दिया लगभग ३० प्रतिशत लेखन अन्य सन्दर्भग्रन्थों से है । लगभग २० प्रतिशत लेखन साधकों को सूक्ष्म स्तर पर प्राप्त ईश्वरीय ज्ञान है, जबकि ५० प्रतिशत लेखन ग्रन्थों के संकलनकर्ता परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को गुरु के आशीर्वाद से स्फुरित हुआ है ।
  • अध्यात्म के प्रत्येक कृत्य के ‘क्यों व कैसे’ का शास्त्रोक्त उत्तर !
  • वैज्ञानिक युग के पाठकों को समझ में आनेवाली आधुनिक वैज्ञानिक भाषा में (उदा. प्रतिशत) ज्ञान !
  • अध्यात्म के विविध पहलुओं के सन्दर्भ में वैज्ञानिक उपकरणों द्वारा किए शोध, सूक्ष्म स्तरीय प्रक्रिया दर्शानेवाले चित्र एवं लेखन  !
  • साधना सम्बन्धी सैद्धान्तिक विवेचन ही नहीं; अपितु प्रत्यक्ष आचरण सम्बन्धी मार्गदर्शन !
  • शीघ्र ईश्वरप्राप्ति हेतु उचित साधना की सीख !
  • अध्यात्म समझाने के लिए विभिन्न साधनामार्गाें का तुलनात्मक विवेचन !

अखिल मानवजाति का उद्धार करनेवाली सनातन की ग्रन्थसम्पदा !

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ

  • ‘अध्यात्म एकमात्र चिरन्तन शास्त्र है’, यह सिद्धान्त आज के विज्ञानयुग में भी दृढता तथा स्पष्टता से बतानेवाला लेखन !
  • बुद्धिप्रमाणवादी व्यक्तियों की बुद्धि पर छाया अहंकार का आवरण दूर कर, उन्हें चिरन्तन आनन्द की ओर ले जानेवाला विवेचन !
  • अध्यात्मशास्त्र के अध्ययन से प्रत्येक व्यक्ति की ऐहिक तथा पारमार्थिक प्रगति साध्य हो एवं अखिल विश्व में सुख, शान्ति एवं सन्तोष होने हेतु मार्गदर्शन !
  • ग्रन्थों में दिए सत्त्वगुणी विचारों के कारण वायुमण्डल में ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज से युक्त विचारों का प्रक्षेपण !
  • ईश्वरीय तत्त्वरूपी शब्दप्रमाण के अनुसार ही प्रत्येक ग्रन्थ लिखा गया है, इसलिए एक प्रकार से ईश्वर की साक्षी में ग्रन्थों की निर्मिति !
  • ज्ञान में विद्यमान ईश्वरीय चैतन्य, तथा आनन्द एवं शान्ति की अनुभूति देनेवाला साहित्य !

पाठको, ‘सनातन के प्रत्येक ग्रन्थ को भावपूर्ण प्रार्थना के आधार पर पढें, जिससे उसका मूल शास्त्र सुलभता से समझ में आएगा तथा सनातन का कोई भी ग्रन्थ क्लिष्ट नहीं लगेगा, अपितु वह अन्तरंग में विद्यमान देवत्व जागृत करेगा !’

– श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ

ईश्वरीय संकल्प से निर्मित तथा मानव का उद्धार करनेवाले सनातन के ग्रन्थ !

पू. रमानंद गौडा

  • ‘जो ज्ञान देते हैं, वे ‘गुरु’ हैं ! सनातन के ग्रन्थ पढकर मुझे इस वचन की प्रतीति हुई कि ‘ग्रन्थ ही गुरु हैं !’
  • ‘ज्ञानगुरु’ परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रन्थ भी ज्ञान के भण्डार हैं ।
  • श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत जैसे ग्रन्थ ईश्वरीय वाणी द्वारा साकार हुए; इसलिए वे चैतन्यदायी हैं । सनातन के ग्रन्थ भी ईश्वरीय संकल्प से निर्मित हुए हैं । ‘कलियुग के वेद’ तुल्य ये ग्रन्थ चैतन्य के स्रोत हैं ।
  • सनातन की चैतन्यमय ग्रन्थसम्पदा के कारण वास्तु में सात्त्विकता निर्मित होती है तथा वास्तु शुद्ध होता है ।
  • सनातन के ग्रन्थों में दिए साधना सम्बन्धी मार्गदर्शन का आचरण कर पाठक क्रमानुसार ‘साधक’, ‘अच्छा साधक’, ‘शिष्य’ एवं ‘सन्त’ बन सकता है । इस प्रकार सनातन के ग्रन्थ मनुष्य का उद्धार करते हैं ।’

– पू. रमानंद गौडा, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था, कर्नाटक. (२.९.२०२१)

सनातन का ग्रन्थ पढते समय हुईं विशेषतापूर्ण अनुभूतियां अध्ययन हेतु हमें डाक से ‘ग्रंथ विभाग, सनातन आश्रम, 24/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा 403 401’ इस पते पर अथवा ईमेल से ‘[email protected]’ इस पते पर अवश्य भेजें ।