Language | Hindi |
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eBook – आदर्श शिष्य कैसे बनें ?
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‘शिष्य’वह है जो गुरुके मनकी बात जानकर तदनुसार आचरण करता है ! शिष्य बनेंगे, तो ही गुरुकृपा होकर ईश्वरप्राप्ति होती है । शिष्यके गुण, आचरण, भाव आदि सम्बन्धी साधकोंके लिए यह ग्रंथ मार्गदर्शक है ।
अध्यात्ममें स्वयं ही अपनेआपको किसीका शिष्य समझना क्यों अयोग्य है ?, शिष्यमें कौनसे गुण होने चाहिए ? गुरुकृपा प्राप्त करने हेतु गुरुसेवाका महत्त्व क्या है ? गुरुसेवा कैसे करें ?, शिष्यकी उन्नति किसपर निर्भर है ? आदि प्रश्नोंके उत्तर इस ग्रंथमें मिलेंगे, जो आपकी आध्यात्मिक यात्राको सरल बनाएंगे ।
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