Weight | 0.104 kg |
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ISBN | 978-93-85575-79-2 |
No of Pages | 84 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले एवं सद्गुरू डॉ. चारुदत्त प्रभाकर पिंगळे |
Group | 2682 |
पाखण्डी बाबाओंसे सावधान
₹85 ₹77
जिसकी कथनी और करनी एक समान हो, वह वन्दनीय है । इसके उत्तम उदाहरण हैं सन्त । सन्तोंका आचरण सदैव आदर्श, अनुकरणीय और समाजके लिए मार्गदर्शक होता है ।
उनके आचरण और मार्गदर्शन का अनुसरण कर अनेक लोग परमार्थके मार्गपर मार्गक्रमण करते हैं तथा ईश्वरकी भक्ति करते हुए ईश्वरसे एकरूप होते हैं; परन्तु वर्तमान कलियुगमें समाजको पारमार्थिक मार्गदर्शन करनेवाले ऐसे सन्त दुर्लभ हैं ।
उसके स्थानपर प्रतिष्ठा और सम्मान के लोभी तथाकथित सन्त समाजका दिशादर्शन करनेके स्थानपर उसे भ्रमित करते दिखाई देते हैं । तीव्र अहंभाव और लोकैषणा, ईश्वरप्राप्तिके स्थानपर धनप्राप्तिकी ओर ध्यान, ऐसे अनेक दुर्गुणोंसे भरे ये तथाकथित साधु, सन्त, बाबा, महाराज आदिके उदाहरण इस ग्रन्थमें दिए हैं ।
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