साधु-सन्तों का महत्त्व एवं कार्य

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साधु-सन्तों की समाजमनपर अंकित की जानेवाली विकृत छवि और हिन्दुओंमें धर्माभिमानका अभाव, इन कारणोंसे आज सामान्य हिन्दू खरे साधु-सन्तों से दूर होता जा रहा है । उचित मार्गदर्शनके अभावमें उनकी स्थिति भ्रमित व्यक्तिकी भांति हो गई है ।
इस ग्रन्थमें ऐसे भ्रमित और दिशाहीन हिन्दू तथा हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंकी स्थिति विशद की गई है ।
राष्ट्र और धर्म की स्थिति विकट होनेके कारण उसमें सुधार लानेके लिए अनेक साधु-सन्त कार्यरत हैं । उनमेंसे कुछ साधु-सन्तों की जानकारी इस ग्रन्थमें दी है ।

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साधु-सन्तों का महत्त्व एवं कार्य

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