Weight | 0.129 kg |
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No of Pages | 108 |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले |
अध्यात्म विश्वविद्यालय
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प्राचीन कालसे लेकर कुछ सहस्र वर्ष पूर्वतक भारत देश ‘विश्वविद्यालयोंका नन्दनवन’के रूपमें परिचित था । उस कालमें ऋषि-मुनियोंके आश्रमोंमें तथा आगे तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयोंमें वेद, शास्त्र, विद्या, कला, धर्म, तत्त्वज्ञान आदिके अध्यापनसे हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का
व्यापक प्रसार हो रहा था । मुसलमान, अंग्रेज जैसे विदेशी विध्वंसकोंके निरन्तर आक्रमणोंसे मन्द पड गई इस धर्मज्ञानकी ज्योतिको पुनः प्रज्वलित करने हेतु ‘अध्यात्म विश्वविद्यालय’का निर्माण हो रहा है । ‘अध्यात्म विश्वविद्यालय’से केवल साधकोंकी आध्यात्मिक प्रगति करना, इतना ही आध्यात्मिक कार्य अभिप्रेत नहीं होगा, राष्ट्ररक्षा हेतु आवश्यक आध्यात्मिक कार्य भी किया जाएगा ।
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