No of Pages | 112 |
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ISBN | 978-93-87508-58-3 |
Language | Hindi |
Group | 4281 |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले एवं पू . संदीप आळशी |
वर्णाश्रमव्यवस्था
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वर्णाश्रमव्यवस्था, भारतीय समाजजीवनकी नींव थी । आश्रमव्यवस्थाद्वारा व्यक्तिगत जीवन उन्नत करना तथा वर्णव्यवस्थाद्वारा सामाजिक एकता एवं उन्नति साधना, ऐसा ध्येय वर्णाश्रमव्यवस्थाका है । इस व्यवस्थाके कारण ही सहस्रों वर्ष भारतीय समाजजीवनको स्थिरता प्राप्त हुई थी । इस व्यवस्थाके विषयमें विस्तृत जानकारी देनेवाले प्रस्तुत ग्रंथमें आप पढेंगे…
- चातुर्वर्ण्यका इतिहास
- जातियां नष्ट करनेका उपाय
- जातियोंकी निर्मिति एवं इतिहास
- वर्ण निश्चित करना कठिन क्यों है ?
- प्राचीन कालमें वर्ण-परिवर्तन कैसे होता था ?
- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र इन चार वर्णोंकी विशेषताएं
- ब्रह्मचर्याश्रम, गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम एवं संन्यासाश्रमका महत्त्व एवं विशेषताएं
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