Weight | 0.112 kg |
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No of Pages | 92 |
ISBN | 978-93-85575-84-6 |
Language | Hindi |
Group | 3000 |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले एवं पू. संदीप आळशी |
वेद
₹95 ₹86
Also available in: Marathi
प्राचीन ऋषि-मुनियोंने कठोर तपश्चर्या कर समग्र मानवजातिके लिए कल्याणकारी सिद्ध होनेवाले, मनोगत ईश्वर प्रतिपादित धर्मको अपने अतींद्रिय ज्ञानसे अनुभव किया और उसका वेद, उपनिषद्, दर्शन, स्मृति इत्यादि ग्रंथोंके रूपमें जतन किया ।
धर्मके विषयपर जो लेखन है, वह ब्रह्मसे संबंधित है । ब्रह्म अनादि-अनंत है, इस कारण ब्रह्मसे संबंधित लेखन भी अनंत काल टिकता है; इसलिए हमारे धर्मग्रंथ कालपर मात करनेवाले सिद्ध हुए हैं ।
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