Weight | 0.076 kg |
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ISBN | 978-93-87508-18-7 |
No of Pages | 60 |
Language | Hindi |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, पू. संदीप आळशी |
Group | 2738 |
धर्मका आचरण एवं रक्षण
₹60 ₹54
Also available in: English , Marathi
समाजव्यवस्था उत्तम रखना, प्रत्येक प्राणिमात्रकी ऐहिक और पारलौकिक उन्नति होना, ये बातें जिससे साध्य होती हैं, वह धर्म है |
धर्म केवल समझनेका विषय नहीं है, अपितु आचरणमें लानेका विषय है; क्योंकि धर्मके आचरणसे ही धर्मकी अनुभूति होती है । उसी प्रकार धर्मरक्षाके कार्यमें योगदान देना, कालानुसार आवश्यक धर्मपालन ही है !
आज देवताओंका अनादर, धर्म-परिवर्तन, आतंकवाद, भ्रष्टाचार जैसे समाज, राष्ट्र एवं धर्म पर आए सभी संकटोंका एकमात्र स्थायी समाधान है रामराज्यकी भांति धर्मराज्यकी (हिन्दू राष्ट्र) स्थापना करना !
धर्माचरणका महत्त्व, धर्मरक्षा और धर्मराज्य की स्थापनाके विषयमें सुबोध मार्गदर्शन इस ग्रंथमें किया है ।
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