Weight | 0.110 kg |
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No of Pages | 92 |
ISBN | 978-93-87508-48-4 |
Language | Hindi |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, पू. संदीप आळशी |
दर्शन, स्मृति एवं पुराण
₹90 ₹81
सिकंदरने, हिन्दुस्थानपर चढाई करनेके लिए अपने देश यूनान (ग्रीक) से प्रस्थान करते समय, वहां के प्रसिद्ध दार्शनिक और अपने गुरु सुकरात (अरिस्टॉटल) से पूछा, युद्धके पश्चात देश लौटते समय मैं आपके लिए कौन-सी बहुमूल्य वस्तु लाऊं ?
इसपर वे बोले, मुझे केवल गंगाजल चाहिए और जिसने हिन्दुस्थानको इतना वैभव प्राप्त करा दिया, वे तत्त्वज्ञान संबंधी ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता चाहिए!
अनेक पश्चिमी विद्वानोंने हिन्दू धर्मग्रंथोंका गुणगान किया है । इससे भी हिन्दू धर्मग्रंथोंकी महत्ता ज्ञात होती है । धर्मग्रंथोंकी महत्ता ज्ञात होनेपर धर्मग्रंथोंपर और इनके माध्यमसे धर्मपर श्रद्धा दृढ होती है ।
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