Weight | 0.53 kg |
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No of Pages | 48 |
ISBN | 978-93-81746-17-2 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरू डॉ. जयंत बाळाजी आठवले एवं श्री. रमेश हनुमंत शिंदे |
Group | 2559 |
धर्म-परिवर्तन एवं धर्मांतरितोंका शुद्धीकरण
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ईसाई लालचके माध्यमसे, तो मुसलमान ‘लव जिहाद’के द्वारा हिंदुओंका धर्म-परिवर्तन करवाकर इस देशको खोखला बना रहे हैं । धर्मशिक्षाके अभावमें धर्माभिमानरहित हिंदू समाज बडी संख्यामें इसकी बलि चढ रहा है । धर्म-परिवर्तनके इस सुनियोजित षडयंत्रको विफल करनेके लिए हिंदुओं, हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों और केंद्रशासनको कौन-से उपाय करने चाहिए, यह इस ग्रंथमें विशद किया गया है । हिंदुओंका धर्म-परिवर्तन करनेका विधर्मियोंका सुनियोजित षडयंत्र, इस षडयंत्रको कार्यान्वित करनेके लिए मिलनेवाली विदेशी आर्थिक सहायता तथा धर्म-परिवर्तनके सामाजिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभावोंका भी विश्लेषण इस ग्रंथमें किया गया है । ‘धर्मांतरितोंका हिंदू धर्ममें पुनर्प्रवेश’ प्रक्रियाके विषयमें स्वतंत्र अध्याय इस ग्रंथमें समाविष्ट किया गया है ।
‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ।’, अर्थात ‘स्वधर्मका आचरण करते हुए यदि मृत्यु भी आती है, तो वह कल्याणकारी होती है; किंतु परधर्म स्वीकारनेके परिणाम सदैव भयानक होते हैं’, श्रीमद्भगवद्गीताके इस वचनको ध्यानमें रखना हिंदुओंके लिए आवश्यक है ।
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