Weight | 0.112 kg |
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No of Pages | 96 |
ISBN | 978-93-91069-01-8 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरु डाॅ. जयंत बाळाजी आठवले, श्री. निरंजन विष्णु चोडणकर |
Group | 25754 |
स्वरक्षा प्रशिक्षण (संकटकालमें अपने साथ समाजकी भी रक्षा करें !)
₹95 ₹86
Also available in: Marathi
मुट्ठीभर गुण्डे समाजपर सत्ता जता रहे हैं । दंगे, हत्याएं, डकैतियां आदि घटनाएं प्रतिदिन बढती ही जा रही हैं । देशमें प्रति घण्टा एक बलात्कार हो रहा है । इतना ही नहीं, अपितु हमारे देशके सामने नक्षलवाद एवं आतंकवाद की बडी समस्याएं हैं । समाज असुरक्षित होगा, तो व्यक्ति कैसे सुरक्षित रह पाएगा ? राष्ट्र के सुरक्षित रहे बिना समाज सुरक्षित नहीं रह सकता । उसी प्रकार समाज सुरक्षित रहे बिना राष्ट्र भी सुरक्षित नहीं रह सकता । संक्षेपमें, हमें अपनी तथा समाज एवं राष्ट्र की रक्षा करनी हो, तो नागरिकोंका स्वयंसिद्ध होना अनिवार्य है ।
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