कर्मयोगकी प्रस्तावना

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कुछ लोगोंको ‘कर्मयोग’का अर्थ भिखारियोंके लिए दानकर्म करनेवाले, विद्यालय-महाविद्यालय स्थापित करनेवाले एवं सामाजिक कार्य करनेवाले ‘कर्मयोगियों’का स्मरण होता है । इनका कार्य अधिकतर भावनावश अथवा प्रसिद्धि प्राप्त करनेके लिए होनेके कारण, वह कर्मयोग नहीं है । कर्मयोग
का सटीक अर्थ क्या है ? जो कर्म करनेसे हमारी आध्यात्मिक उन्नति होकर हमें ईश्वरप्राप्ति होती है, ऐसा कर्म करते रहना ‘कर्मयोग’ है ।

प्रस्तुत ग्रन्थ कर्मयोगसे सम्बन्धित मूलभूत जानकारी देनेवाला एवं इस मार्गसे की जानेवाली साधनाका सारांश स्पष्ट करनेवाला ग्रन्थ है । कर्मयोगका इतिहास; कर्म करनेका महत्त्व; कर्मयोगकी विशेषताएं; कर्मयोगका रहस्य अर्थात कर्तापनका त्याग एवं कर्मयोग, ज्ञानयोग तथा भक्तियोग, इन मार्गाेंके अनुसार वह कैसे करना चाहिए; स्वधर्मकर्म, कर्तव्यकर्म क्यों एवं कैसे करना चाहिए आदि तर्कपूर्ण विचार एवं विवेचन यह ग्रन्थ करता है ।

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कर्मयोगकी प्रस्तावना

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