Weight | 0.078 kg |
---|---|
No of Pages | 64 |
ISBN | 978-93-83236-08-4 |
Language | Hindi |
Compilers | श्री. चित्तरंजन मिहिरकुमार सुराल |
Group | 2564 |
राष्ट्र एवं धर्मरक्षाके उपाय
₹65 ₹59
Also available in: Marathi
१० से १४ जून २०१२ की कालावधिमें रामनाथी, गोवामें ‘हिंदू जनजागृति समिति’की ओरसे प्रथम ‘अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशन’ संपन्न हुआ । यह अधिवेशन ‘हिंदू राष्ट्रकी स्थापना’ हेतु बढा प्रथम ऐतिहासिक पग था । इस अधिवेशनमें निरंतर पांच दिनोंतक अनेक हिंदुत्वनिष्ठ मान्यवरोंने विविध राष्ट्रीय एवं धार्मिक समस्याओंका अभ्यासपूर्ण विवेचन किया । इस ऐतिहासिक अधिवेशनमें प्रस्तुत हिंदुत्वनिष्ठ मान्यवरोंके विचार हम तीन ग्रंथमालाके रूपमें प्रस्तुत कर रहे हैं ।
ग्रंथमालाके इस भागमें धर्माभिमानी वक्ताओंके ‘लव जिहाद’, ‘हिंदुओंका धर्मांतरण’, ‘मंदिरोंकी रक्षा’, ‘गोवंशकी रक्षा’ और ‘देवनदी गंगाकी रक्षा’, इन विषयोंपर व्यक्त तेजस्वी विचार इस ग्रंथमें संपादित स्वरूपमें दे रहे हैं । यह विचार हिंदुत्वके क्षेत्रमें कार्य करनेवाले प्रत्येकके लिए प्रेरणादायी होनेके साथ ही जन्महिंदुओंको कर्महिंदू बननेके लिए भी मार्गदर्शक हैं ।
In stock
Reviews
There are no reviews yet.