Weight | 0.121 kg |
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No of Pages | 100 |
ISBN | 978-93-5257-140-6 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेे (हिन्दू राष्ट्र-स्थापनाके प्रेरणास्रोत), श्री. रमेश हनुमंत शिंदे (वक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति), श्री. चेतन धनंजय राजहंस (वक्ता, सनातन संस्था) |
Group | 2946 |
लोकतन्त्रमें फैली दुष्वृत्तियोंके विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्य
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Also available in: Marathi
हमारे महान क्रान्तिकारियोंने हमें जो स्वराज्य सौंपा है; उसका रूपान्तर सुराज्यमें करना हमारा दायित्व है ।
अतः अब हमें अन्याय सहनेकी अपेक्षा उसके विरोधमें लडकर उसे रोकनेका निश्चय करना चाहिए ।
इसीलिए इस ग्रन्थमें संक्षेपमें बताया गया है कि वर्तमानमें सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओं की ओरसे होनेवाला जनताका शोेषण रोकनेके लिए वैधानिक ढंगसे कैसे कार्य करना चाहिए ।
हममेंसे प्रत्येक व्यक्ति जब ध्येयनिष्ठ और संगठित होकर अन्यायकारी दुष्वृत्तियोंके विरुद्ध खडा होगा, तभी हम अपनी अगली पीढीके लिए, रामराज्य समान एक आदर्श राज्यव्यवस्थाका अनुभव करानेवाले, हिन्दू राष्ट्रकी आधारशिला रख पाएंगे ।
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