लोकतन्त्रमें फैली दुष्वृत्तियोंके विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्य

100 90

Also available in: Marathi

हमारे महान क्रान्तिकारियोंने हमें जो स्वराज्य सौंपा है; उसका रूपान्तर सुराज्यमें करना हमारा दायित्व है ।
अतः अब हमें अन्याय सहनेकी अपेक्षा उसके विरोधमें लडकर उसे रोकनेका निश्‍चय करना चाहिए ।
इसीलिए इस ग्रन्थमें संक्षेपमें बताया गया है कि वर्तमानमें सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओं की ओरसे होनेवाला जनताका शोेषण रोकनेके लिए वैधानिक ढंगसे कैसे कार्य करना चाहिए ।
हममेंसे प्रत्येक व्यक्ति जब ध्येयनिष्ठ और संगठित होकर अन्यायकारी दुष्वृत्तियोंके विरुद्ध खडा होगा, तभी हम अपनी अगली पीढीके लिए, रामराज्य समान एक आदर्श राज्यव्यवस्थाका अनुभव करानेवाले, हिन्दू राष्ट्रकी आधारशिला रख पाएंगे ।

Index and/or Sample Pages

In stock

लोकतन्त्रमें फैली दुष्वृत्तियोंके विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्य

100 90