स्त्रियोंके अलंकारोंका अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन

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”सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु । उदारु अंग विभूषणम् ॥….” देवता भी अलंकारोंसे विभूषित होते हैं ।
स्त्रीके लिए अलंकार केवल शोभाकी वस्तु नहीं; अपितु उसकी सुन्दरता एवं शालीनताकी रक्षा हेतु सहस्रों वर्ष पूर्व मिली अनमोल सांस्कृतिक देन हैं।
इस लघुग्रन्थमें शास्त्रसहित बताया गया है कि अलंकार स्त्रीको ईश्‍वरीय चैतन्य प्रदान करनेवाला तथा उसमें विद्यमान देवत्व जागृत करनेवाला एक महत्त्वपूर्ण घटक है । इसके साथ ही इसमें आप देखेंगे,

  • स्त्रियोंके अलंकार धारण करनेका महत्त्व एवं लाभ
  • विधवाको अलंकार क्यों नहीं पहनने चाहिए ?
  • अलंकार पहननेवाली एवं न पहननेवाली स्त्री
  • अलंकार धारण करनेके विषयमें किए गए सूक्ष्म स्तरीय प्रयोग
  • अलंकारके सन्दर्भमें व्यवहारिक सूचनाएं
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स्त्रियोंके अलंकारोंका अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन

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