Weight | 0.065 kg |
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ISBN | 978-81-973664-9-9 |
No of Pages | 48 |
Language | Hindi |
Compilers | सच्चिदानंद पऱब्रम्ह डॉ. जयंत आठवले एवं सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त प्रभाकर पिंगळे |
Group | 2551 |
कुम्भपर्व की महिमा
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कुंभमेला राष्ट्रीय एकता का प्रतीक, विश्व की सबसे बडी धार्मिक यात्रा है । यह हिन्दू धर्म के विविध पंथों एवं संप्रदायों की एकता का मेला है । कुंभमेला सिद्ध करता है कि जातिव्यवस्था वैदिक नहीं । केवल पंचांग द्वारा १२ वर्ष में एक बार आनेवाले पवित्र कुंभमेले की जानकारी पहले ही देकर करोडों हिन्दुओं को बिना निमंत्रण के एकत्रित कर सकनेवाला कुंभमेला, नास्तिक संगठनों को चपत लगानेवाला श्रद्धा का मेला है । ऐसे अनेक विशेष सूत्रों के विषय में मौलिक विवेचन इस ग्रंथ में किया है ।
इस ग्रंथ में कुंभपर्व से संबंधित विविध संज्ञाओं का अर्थ तथा ‘अखाडा’ क्या है और कुंभमेले में सहभागी होनेवाले विविध अखाडे, कुंभपर्वक्षेत्र (प्रयाग, हरद्वार [हरिद्वार], उज्जैन एवं त्र्यंबकेश्वर-नाशिक) एवं उनकी महिमा, कुंभमेले की विशेषता, कुंभपर्व का धार्मिक महत्त्व विषद किया है ।
कुंभमेले में श्रद्धा से आचरण करनेवाले श्रद्धालुओं को ही कुंभपर्व का वास्तव में आध्यात्मिक लाभ होता है । यह ग्रंथ पढकर श्रद्धालुओं को स्पष्ट होगा कि कुंभपर्व का आध्यात्मिक लाभ कैसे लेना है ।
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