Weight | 0.085 kg |
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No of Pages | 68 |
ISBN | 978-93-87508-00-2 |
Language | Hindi |
Group | 2255 |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले एवं पू. संदीप आळशी |
कर्मयोगकी प्रस्तावना
₹70 ₹63
Also available in: English , Marathi
कुछ लोगोंको ‘कर्मयोग’का अर्थ भिखारियोंके लिए दानकर्म करनेवाले, विद्यालय-महाविद्यालय स्थापित करनेवाले एवं सामाजिक कार्य करनेवाले ‘कर्मयोगियों’का स्मरण होता है । इनका कार्य अधिकतर भावनावश अथवा प्रसिद्धि प्राप्त करनेके लिए होनेके कारण, वह कर्मयोग नहीं है । कर्मयोग
का सटीक अर्थ क्या है ? जो कर्म करनेसे हमारी आध्यात्मिक उन्नति होकर हमें ईश्वरप्राप्ति होती है, ऐसा कर्म करते रहना ‘कर्मयोग’ है ।
प्रस्तुत ग्रन्थ कर्मयोगसे सम्बन्धित मूलभूत जानकारी देनेवाला एवं इस मार्गसे की जानेवाली साधनाका सारांश स्पष्ट करनेवाला ग्रन्थ है । कर्मयोगका इतिहास; कर्म करनेका महत्त्व; कर्मयोगकी विशेषताएं; कर्मयोगका रहस्य अर्थात कर्तापनका त्याग एवं कर्मयोग, ज्ञानयोग तथा भक्तियोग, इन मार्गाेंके अनुसार वह कैसे करना चाहिए; स्वधर्मकर्म, कर्तव्यकर्म क्यों एवं कैसे करना चाहिए आदि तर्कपूर्ण विचार एवं विवेचन यह ग्रन्थ करता है ।
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