Weight | 0.154 kg |
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No of Pages | 120 |
ISBN | 978-93-94097-72-8 |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, पू. संदीप आळशी |
Language | Hindi |
Group | 29974 |
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजीकी समष्टि साधना एवं आध्यात्मिक अधिकार
₹120 ₹108
Also available in: Marathi
प.पू. भक्तराज महाराजजी के डॉ. जयंत आठवलेजीको ‘शिष्य’के रूपमें स्वीकार करनेके उपरान्त अल्पावधिमें उन्हें ‘अपने समान’ बनाया ! केवल ३ वर्षोंमें ही गुरु सबके सामने डॉ. आठवलेजीके आध्यात्मिक अधिकार की प्रशंसा करने लगे । ये अधिकार तथा गुरु एवं अन्य कुछ सन्तोंके डॉ. आठवलेजीसे सम्बन्धित गौरवोद्गार भी इस ग्रन्थमें दिए हैं ।
अभीतक अनेक सन्त-महात्मा हुए हैं । साधक अवस्थासे ब्रह्मपदकी प्राप्तितककी उनकी साधना यात्रामें उनकी आन्तरिक अवस्थामें हुए परिवर्तन, उनकी आध्यात्मिक उन्नतिका मूल्यांकन आदि अन्योंको ज्ञात नहीं हो पाया । सन्त अहंरहित होते हैं, इसलिए वे स्वयं यह सर्व नहीं बताते । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजीने सभी साधक सीख पाएं, इस उद्देश्य से ‘स्वयंकी उन्नतिका मूल्यांकन करना सम्भव हो’, ऐसे सूत्र उनकी साधकावस्थासे लिखकर रखे हैं तथा इस सन्दर्भमें उन्होंने आगे सनातनके ज्ञान प्राप्तकर्ता साधकोंसे भी समझ लिया है । यह सर्व अमूल्य जानकारी भी इस ग्रन्थमें अन्तर्भूत है । यह इस ग्रन्थका निरालापन है ।
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