Weight | 0.204 kg |
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No of Pages | 172 |
ISBN | 978-93-94097-26-1 |
Language | Hindi |
Group | 21597 |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले एवं श्री. अतुल पवार |
योगतज्ञ प.पू. दादाजी वैशंपायनजी (गुण-विशेषताएं, कार्य, सिद्धि एवं देहत्याग)
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प्राचीन कालमें ऋषि-मुनियों द्वारा की गई कठोर तपस्या, उनकी त्रिकालदर्शिता, सर्वज्ञता, लीलासामर्थ्य, वैराग्यशीलता आदि के सन्दर्भमें हमें ज्ञात होता है । कलियुग में ऐसा कोई हो सकता है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती; परन्तु कलियुगमें हुए योगतज्ञ प.पू. दादाजी वैशंपायनजी ऐसी अद्वितीय महान विभूति हैं !
उनके तपस्वी व्यक्तित्व और लोकोत्तर कार्य के अनेक अंग प्रस्तुत ग्रन्थमें उजागर किए गए हैं ।
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