योगतज्ञ प.पू. दादाजी वैशंपायनजी (गुण-विशेषताएं, कार्य, सिद्धि एवं देहत्याग)

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    प्राचीन कालमें ऋषि-मुनियों द्वारा की गई कठोर तपस्या, उनकी त्रिकालदर्शिता, सर्वज्ञता, लीलासामर्थ्य, वैराग्यशीलता आदि के सन्दर्भमें हमें ज्ञात होता है । कलियुग में ऐसा कोई हो सकता है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती; परन्तु कलियुगमें हुए योगतज्ञ प.पू. दादाजी वैशंपायनजी ऐसी अद्वितीय महान विभूति हैं !

    उनके तपस्वी व्यक्तित्व और लोकोत्तर कार्य के अनेक अंग प्रस्तुत ग्रन्थमें उजागर किए गए हैं ।

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    योगतज्ञ प.पू. दादाजी वैशंपायनजी (गुण-विशेषताएं, कार्य, सिद्धि एवं देहत्याग)

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