Weight | 0.06 kg |
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No of Pages | 48 |
ISBN | 978-93-82461-34-0 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरू डॉ. जयंत बाळाजी आठवले एवं पू. श्री. शिवाजी गिरजाप्पा वटकर |
Group | 2560 |
धर्म-परिवर्तनके दांवपेंचोंसे सावधान !
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गत कुछ शताब्दियोंसे आजतक अहिंदुओंकी जनसंख्या बढानेकी महती आकांक्षासे ग्रस्त अहिंदू, छल, बल और कपट तथा लालच दिखाना एवं फंसाना, जैसे अनेक प्रकारके संविधानविरोधी हथकंडे अपनाकर हिंदुओंसे धर्म-परिवर्तन करवा रहे हैं ।
धर्मांध मुसलमान हिंदुओंपर सीधे सशस्त्र आक्रमण करते हैं, जबकि ईसाई मिशनरी मीठा बोलकर छिपा आक्रमण करते हैं ।
भारतमें हिंदुओंको अपने धर्मका ज्ञान न होनेके कारण लाखों हिंदू प्रतिवर्ष विधर्मियोंकी चिकनी-चुपडी बातोंपर विश्वास कर धर्म-परिर्वतन कर रहे हैं । यह जानकर, हिंदू धर्म और हिंदुस्थानको जीवित रखनेके लिए विधर्मियोंद्वारा अपनाए जानेवाले धर्म-परिवर्तनके विविध दांवपेंच कौन-से हैं तथा उन्हें वैधानिक ढंगसे रोकनेके लिए हिंदुओंको क्या करना चाहिए, इस विषयमें विस्तृत जानकारी इस ग्रंथमें दी गई है ।
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