Weight | 0.087 kg |
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No of Pages | 68 |
ISBN | 978-93-91069-07-0 |
Language | Hindi |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले |
Group | 2874 |
स्वभावदोष-निर्मूलन हेतु बौद्धिक एवं व्यावहारिक स्तरके प्रयास
₹70 ₹63
Also available in: Marathi
अमीबासे लेकर प्रगत मनुष्यतक प्रत्येक जीव सर्वोच्च तथा चिरन्तन सुख (आनन्द) प्राप्तिके लिए ही सतत प्रयत्नशील रहता है । सुख-दुःखका अनुभव मनके द्वारा ही होता है । सुखप्राप्ति तथा दुःखनिवृत्तिके लिए प्रयत्न करते समय ‘प्रत्येक जीवमें सच्चिदानन्दमय ईश्वरका अंश है और वह मुझमें भी है । ऐसी स्थितिमें मुझे उसकी अनुभूति क्यों नहीं होती ? ईश्वरकी अनुभूति होनेकी पात्रता मुझमें निर्माण होनेके लिए मुझे अपनेमें क्या-क्या परिवर्तन करना पडेगा’, इसके लिए स्व-मनको भलीभांति समझना आवश्यक है । इसीको ‘अन्तर्मुखता साध्य करना’ कहते हैं ।
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