निराशा, मनोग्रस्ति आदि मनोविकारोंके लिए स्वसम्मोहन उपचार !

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इस ग्रन्थमें मानसिक विकारोंके लिए कारणभूत एवं साधनामें बाधा डालनेवाले स्वभावदोष एवं कुछ विकारोंका निर्मूलन कैसे करें, इसकी सैद्धान्तिक जानकारी दी गई है । इस तीसरे और इसके अगले चौथे ग्रन्थमें मानसिक विकारोंपर स्वयं उपचार कैसे करें, इसकी जानकारी दी गई है । पांचवें और छठवें ग्रन्थमें कुछ शारीरिक विकारोंपर उपचार कैसे करें, इसकी जानकारी दी गई है ।
मानसिक विकार अगले चरणका हो, तब भी रोगी स्वयंपर उपचार नहीं कर सकता । ऐसे समयपर कोई भी अभ्यासी तथा लगन रखनेवाला व्यक्ति सम्मोहन उपचारशास्त्रका अभ्यास कर रोगीपर उपचार कर सकता है ।उपचार करना सुलभ हो, इस हेतु इस ग्रन्थमें विविध मानसिक विकारोंपर उपचार करनेके उदाहरण विस्तृतरूपमें दिए हैं । उन्हें पढकर प्रत्यक्ष उपचार करनेके सन्दर्भमें दिशा मिलेगी ।

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निराशा, मनोग्रस्ति आदि मनोविकारोंके लिए स्वसम्मोहन उपचार !

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