रसोईके आचारोंसंबंधी अध्यात्मशास्त्र (भाग १)

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हिंदू संस्कृति कहती है, ‘आहारकी सामग्री सात्त्विक होनेके साथ ही उसे बनानेकी पद्धति भी सात्त्विक होनी चाहिए ।’
इस ग्रंथमालामें (भाग – 1 एवं भाग – 2) पहंसुलपर (हंसियापर) तरकारी काटते समय किस प्रकार बैठें, तरकारीके टुकडोंका आकार कितना हो, श्री अन्नपूर्णामाता तथा उपास्यदेवताका स्मरण क्यों करें इत्यादि विविध आचारोंका विवेचन किया गया है ।

  • घरमें संग्रहित अनाजकी आध्यात्मिक देखभाल कैसे करें ?
  • तरकारी पकाते समय क्या-क्या सावधानियां बरतें ?
  • दूध फाडकर बनाए गए पदार्थ क्यों नहीं खाने चाहिए ?
  • अन्न पकानेके लिए उपयोग किए जानेवाले बर्तनोंकी धातु तथा उनसे होनेवाले लाभ एवं हानि
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रसोईके आचारोंसंबंधी अध्यात्मशास्त्र (भाग १)

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