Weight | 0.084 kg |
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No of Pages | 68 |
ISBN | 978-93-84461-44-7 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले एवं सद्गगुरु (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ |
रसोईके आचारोंसंबंधी अध्यात्मशास्त्र (भाग १)
₹80 ₹72
Also available in: English , Marathi
हिंदू संस्कृति कहती है, ‘आहारकी सामग्री सात्त्विक होनेके साथ ही उसे बनानेकी पद्धति भी सात्त्विक होनी चाहिए ।’
इस ग्रंथमालामें (भाग – 1 एवं भाग – 2) पहंसुलपर (हंसियापर) तरकारी काटते समय किस प्रकार बैठें, तरकारीके टुकडोंका आकार कितना हो, श्री अन्नपूर्णामाता तथा उपास्यदेवताका स्मरण क्यों करें इत्यादि विविध आचारोंका विवेचन किया गया है ।
- घरमें संग्रहित अनाजकी आध्यात्मिक देखभाल कैसे करें ?
- तरकारी पकाते समय क्या-क्या सावधानियां बरतें ?
- दूध फाडकर बनाए गए पदार्थ क्यों नहीं खाने चाहिए ?
- अन्न पकानेके लिए उपयोग किए जानेवाले बर्तनोंकी धातु तथा उनसे होनेवाले लाभ एवं हानि
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