Weight | 0.092 kg |
---|---|
No of Pages | 72 |
ISBN | 978-93-91069-99-5 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरु डाॅ. जयंत बाळाजी आठवले, निषाद श्याम देशमुख एवं अन्य |
आचारधर्मकी प्रस्तावना
₹85 ₹77
Also available in: Marathi
आचारधर्म अर्थात आध्यात्मिक सिद्धान्तोंके आधारपर जीवनयापन करना!
आचार: प्रभवो धर्म: । अर्थात धर्म आचारसे उत्पन्न हुआ है । हमारे धार्मिक जीवनकी रचना आचारधर्मपर निर्भर है । धर्माचरण एवं साधनाका उद्देश्य है ईश्वरप्राप्ति । धर्माचरण एवं साधना करनेके प्रति मनकी प्रवृत्ति सत्त्वगुणपर निर्भर होती है । साधारण मनुष्य रजोगुणी और तमोगुणी होता है, इसलिए उसकी रुचि साधनामें नहीं होती । आचारधर्मके पालनसे व्यक्तिकी सात्त्विकता धीरे-धीरे बढती है और वह साधनामें रुचि लेेने लगता है ।
प्रस्तुत ग्रन्थमें आचारधर्मका पालन न करनेसे क्या हानि हो सकती है, आचारके अनुसार आचरण कैसे करें, आचारधर्मका योग्य पद्धतिसे पालन करनेके लिए उपयुक्त घटक कौनसे हैं, आदि बिन्दुओंका विवेचन भी इस ग्रन्थमें दिया गया है ।
In stock
Reviews
There are no reviews yet.