Weight | 0.095 kg |
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No of Pages | 76 |
ISBN | 978-93-5257-086-7 |
Language | Hindi |
Group | 2724 |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, पू. संदीप आळशी |
स्वभावदोष दूर कर आनन्दी बनें !
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Also available in: English , Marathi
अनेक बच्चोंके मनानुसार न हो अथवा माता-पिता उनकी बात न मानें, तो वे चिढ जाते हैं, रूठ जाते अथवा निराश हो जाते हैं । ऐसे बच्चोंको स्वयंको तथा उनके कारण दूसरोंको भी, कष्ट होता है । इस ग्रन्थमें आलस्य, उद्दण्डता, अव्यवस्थितता आदि स्वभावदोषोंसे बच्चोंकी किस प्रकार हानि होती है; उनसे किस प्रकारकी चूकें होती हैं; उन दोषोंको दूर करनेके लिए बच्चोंको कैसी स्वसूचना देनी चाहिए; चूक होनेपर कौन-सा प्रायश्चित लेना चाहिए आदि बातोंका उदाहरणसहित विवेचन किया गया है ।
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