Due to operational constraints Online Sanatan Shop is unable to ship the orders between 16 May 2025 and 21 May 2025. Pending orders will be dispatched from 22 May 2025. We apologise in advance for any resulting inconvenience.
आदरणीय ग्राहक व जिज्ञासू, काही तांत्रिक कारणांमुळे सनातन शॉप वरुन दिनांक १६ मे २०२५ ते २१ मे २०२५ या कालावधीत आलेल्या मागण्यांचे वितरण २२ मे २०२५ पासून करण्यात येईल. आपल्याला होणाऱ्या असुविधेबद्दल आम्ही दिलगीर आहोत. Dismiss

स्वभावदोष दूर कर आनन्दी बनें !

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अनेक बच्चोंके मनानुसार न हो अथवा माता-पिता उनकी बात न मानें, तो वे चिढ जाते हैं, रूठ जाते अथवा निराश हो जाते हैं । ऐसे बच्चोंको स्वयंको तथा उनके कारण दूसरोंको भी, कष्ट होता है । इस ग्रन्थमें आलस्य, उद्दण्डता, अव्यवस्थितता आदि स्वभावदोषोंसे बच्चोंकी किस प्रकार हानि होती है; उनसे किस प्रकारकी चूकें होती हैं; उन दोषोंको दूर करनेके लिए बच्चोंको कैसी स्वसूचना देनी चाहिए; चूक होनेपर कौन-सा प्रायश्‍चित लेना चाहिए आदि बातोंका उदाहरणसहित विवेचन किया गया है ।

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स्वभावदोष दूर कर आनन्दी बनें !

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