Weight | 0.122 kg |
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No of Pages | 100 |
ISBN | 978-93-84461-80-5 |
Language | Hindi |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, पू. संदीप आळशी |
संचित, प्रारब्ध एवं क्रियमाण कर्म
₹100 ₹90
Also available in: English , Marathi
- प्रारब्ध अपरिहार्य क्यों है ?
- प्रारब्ध कितने प्रकारके होते हैं ?
- कौनसी बातें प्रारब्धके अधीन होती हैं ?
- योग्य क्रियमाण कर्मके चरण कौनसे हैं ?
- प्रारब्धपर विजय कैसे प्राप्त कर सकते हैं ?
- प्रारब्धभोग भोगनेकी प्रक्रिया कैसी होती है ?
- क्या निर्जीव वस्तुओंका भी प्रारब्ध होता है ?
- उचित क्रियमाण कर्म (प्रयत्न) प्रारब्धसे श्रेष्ठ क्यों ?
- साधनाके कारण तीव्र प्रारब्धभोग सहनीय कैसे होते हैं ?
- विभिन्न देहोंद्वारा होनेवाले प्रारब्धकर्म एवं क्रियमाण कर्म कौनसे हैं ?
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