Weight | 0.071 kg |
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No of Pages | 52 |
ISBN | 978-93-5257-053-9 |
Language | Hindi |
Group | 2605 |
Compilers | परात्पर गुरु डाॅ. जयंत बाळाजी आठवले, सद्गुरू डॉ. वसंत बाळाजी आठवले |
बोधकथा
₹60 ₹54
Also available in: English , Marathi
बालको, आप खेलकी पत्रिकाएं एवं जादूका घोडा, उडनेवाली परी जैसी कहानियां पढते हैं तथा टी.वी.पर कार्टून देखते हैं।
इससे आपका मनोरंजन तो होता है; किन्तु आप पर अच्छे संस्कार नहीं होते !
संस्कार होना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इससे जीवन आदर्श बनता है।
प्रस्तुत ग्रन्थमें दी हुई कथाओंसे आपका न केवल मनोरंजन होगा, अपितु सुसंस्कारित जीवन जीनेकी कला भी जानोगे।
साथ ही आपको इन कथाओंसे- सदाचार, साधना, धर्मप्रेेम, संस्कृतिप्रेेम, राष्ट्रभक्ति आदि विषयोंमें उत्तम ज्ञान भी मिलेगा ।
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