Weight | 0.103 kg |
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No of Pages | 84 |
ISBN | 978-93-94097-27-8 |
Language | Hindi |
Group | 3016 |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, श्री. चेतन धनंजय राजहंस, श्री. रमेश हनुमंत शिंदे |
हिन्दू राष्ट्र : आक्षेप एवं खण्डन
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Also available in: Marathi
आजकल हिन्दू राष्ट्र शब्द सेक्युलर भारतमें आक्षेपजनक माना जाता है । कुछ लोगोंको तो हिन्दू इस शब्दके सन्दर्भमें ही मूलभूत आक्षेप है ।
सेक्युलर विरोधकोंका आक्षेप है कि हिन्दू राष्ट्रकी कल्पना असंवैधानिक है। सामाजिक सौहार्द्रकी डींगे मारनेवालोंको हिन्दू राष्ट्र संकीर्ण अथवा कट्टरपन्थी प्रतीत होता है । अहिन्दू पन्थियोंको लगता है कि हिन्दू राष्ट्र उनकी प्रगतिमें रुकावट बनेगा । ये आक्षेप प्रातिनिधिक उदाहरण हैं, ऐसे अनेक आक्षेप हिन्दू राष्ट्र इस शब्दको घेरे हुए हैं ।
- इन आक्षेपोंकी वास्तविकता क्या है ?
- भारत स्वयम्भू हिन्दू राष्ट्र है क्या ? एवं
- हिन्दू राष्ट्र-स्थापनाके लिए कार्य करनेवालोंका मूलभूत विचार क्या है ?
इन प्रश्नोंका उत्तर देने हेतु यह ग्रन्थ है ।
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