Weight | 0.087 kg |
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ISBN | 978-93-94097-70-4 |
No of Pages | 68 |
Language | Hindi |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले |
Group | 2736 |
सात्त्विक आहारका महत्त्व
₹80 ₹72
Also available in: English , Marathi
सात्त्विक आहारके सेवनसे हमारा शरीर, मन और बुद्धि सात्त्विक बनती है, जबकि मांस एवं मदिराके सेवनसे व्याक्ति तमोगुणी बनता है ।
वास्तवमें मांसाहार मनुष्यका आहार ही नहीं है । सृष्टिके निर्माताने मांसाहारकी निर्मिति मानवके लिए नहीं की है ।
आधुनिक आहारविशेषज्ञ स्पष्टरूपसे यह नहीं बताते कि शाकाहार अथवा मांसाहारमें क्या श्रेष्ठ है ।
सात्त्विक आहारका महत्त्व और तामसिक आहारके कारण होनेवाली हानि समझमें आना, व्यक्ति और फलस्वरूप समाजका जीवन सुखी बनानेमें सहायक होगा ।
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