Weight | 0.122 kg |
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No of Pages | 100 |
ISBN | 978-93-94097-52-0 |
Language | Hindi |
Compilers | सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले |
Group | 2264 |
स्वभावदोष (षड्रिपु)-निर्मूलनका महत्त्व एवं गुण-संवर्धन प्रक्रिया
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जीवन के विविध क्षेत्रोंमें सफल होने के लिए आवश्यक ‘प्रभावी’ एवं ‘आदर्श’ व्यक्तित्व विकसित करने हेतु स्वभावदोष-निर्मूलन के साथ ही गुण-संवर्धन के लिए भी प्रयास करना आवश्यक है।
गुण-संवर्धन प्रक्रिया का महत्त्व, उससे होनेवाले लाभ, इस प्रक्रिया के विविध चरणोंमें किए जानेवाले प्रयत्न इत्यादि सूत्रोंके विषयमें विस्तृत जानकारी इस ग्रन्थ के ‘अध्याय २ – गुण-संवर्धन प्रक्रिया’में दी है।
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