Weight | 0.093 kg |
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No of Pages | 66 |
ISBN | 978-93-94097-03-2 |
Language | Hindi |
Group | 2732 |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले, श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ, श्री. निषाद देशमुख एवं अन्य |
देवालयमें देवताके प्रत्यक्ष दर्शनसे पूर्वके कृत्योंका अध्यात्मशास्त्र
₹80 ₹72
Also available in: English , Marathi
- हाथ-पैर धोकर देवालयमें क्यों प्रवेश करना चाहिए ?
- देवताके दर्शनके लिए जाते समय भाव कैसा हो ?
- देवताके दर्शन करते समय प्रार्थना क्या करनी चाहिए ?
- देवताकी परिक्रमा कितनी, कैसे एवं क्यों करनी चाहिए ?
- देवताके चरणोंमें धन, नारियल आदि अर्पण करनेका महत्त्व क्या है ?
ऐसे विविध प्रश्नोंके अध्यात्मशास्त्रीय उत्तर इस ग्रंथमालामें दिए हैं ।
मानवके अंतिम ध्येय – ‘ईश्वरप्राप्ति ’को साध्य करनेकी दृष्टिसे हिन्दू धर्मके प्रत्येक धार्मिक कृत्यके पीछे कितना गहन एवं सूक्ष्म विचार किया है, इसका दर्शन भी इस ग्रंथमालाके पठनसे पग-पगपर होगा ।
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