Weight | 0.041 kg |
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No of Pages | 64 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले , सद्गुरू (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ |
Group | 2389 |
ISBN | 978-93-89098-72-3 |
मृत्युपरान्तके शास्त्रोक्त क्रियाकर्म
₹20
Also available in: Marathi
- मृतदेहको दक्षिणोत्तर दिशामें क्यों रखते हैं ?
- श्मशानयात्रामें मटकी एवं अग्नि क्यों ले जाएं ?
- अर्थीके लिए बांसका ही उपयोग उचित क्यों है ?
- पिंडदान नदीकिनारे अथवा घाटपर क्यों करते हैं ?
- मरणासन्न व्यक्तिके संदर्भमें कौनसे कृत्य करने चाहिए ?
- व्यक्तिकी मृत्यु होनेपर घरमें मिट्टीका दीप क्यों जलाना चाहिए ?
- अस्थिसंचय एवं अस्थिविसर्जनका अध्यात्मशास्त्रीय आधार क्या है ?
- मृत्युके दिन किए जानेवाले कृत्योंका अध्यात्मशास्त्रीय आधार क्या है ?
- मृत्युके १० वें, १२ वें एवं १३ वें दिन की जानेवाली विधियोंका क्या महत्त्व है ?
इन विषयोंका अध्यात्मशास्त्रीय ज्ञान इस लघुग्रंथमें दिया है ।
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