गुरुकृपायोगानुसार साधना

90 81

गुरुकृपायोगका अर्थ है, गुरुकृपाके माध्यमसे जीवका शिवसे जुडना ।
कर्मयोग, भक्तियोग तथा ज्ञानयोग, इन तीन साधनामार्गोंका त्रिवेणी संगम गुरुकृपायोग, ईश्‍वरप्राप्तिका सहज मार्ग है ।
गुरुकृपायोगकी विशेषता यह है कि इसमें बताई गई समष्टि साधनासे निर्गुणकी उपासना होती है, जिससे ईश्‍वरतक शीघ्र पहुंचा जा सकता है ।
इस ग्रंथमें साधनाके सिद्धांत, साधनाके चरण आदि के विषयमें नई और मौलिक जानकारी दी गई है । इसमें यह भी बताया गया है कि व्यष्टि और समष्टि साधनाके विविध घटक कौनसे हैं एवं इनका पालन कैसे करना चाहिए तथा समष्टि साधनाके लिए आवश्यक गुण कौनसे हैं ।
गुरुकृपायोगानुसार साधना करनेवाले अल्प आध्यात्मिक स्तरके साधकको भी अनुभूति शीघ्र कैसे होती है, दुर्लभ ज्ञानप्राप्ति क्यों होती है, इसके विषयमें अध्यात्मशास्त्रकी दृष्टिसे अधिक गहन एवं सूक्ष्म स्तरकी जानकारी भी ग्रंथमें दी है।

Index and/or Sample Pages

Out of stock

Email when stock available