ISBN | 978-93-82461-66-1 |
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No of Pages | 106 |
Language | Hindi |
Compilers | परात्पर गुरू डॉ. जयंत बाळाजी आठवले, डॉ. (श्रीमती) कुंदा जयंत आठवले |
शिष्य
₹105 ₹95
Also available in: English , Marathi
- गुरु क्यों न ढूंढें ?
- गुरुसे क्या मांगें ?
- गुरुकी प्राप्त हेतु क्या करें ?
- शिष्य बननेके लिए कौनसे गुण होने चाहिए ?
- शिष्यका जीवन कैसा हो ?
- अर्जुनको ‘उत्तम शिष्य’ क्यों कहा गया है ?
- शिष्यका गुरुके प्रति भाव कैसा हो ?
- शिष्यका गुरुसे और गुरुबंधुओंसे व्यवहार कैसा हो ?
- स्वयं ही अपनेआपको किसीका शिष्य समझना क्यों अयोग्य है ?
इत्यादि विषयोंका विस्तृत विवरण इस ग्रंथमें दिया है ।
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